Press Release : Hon’ble BJP National President Shri J.P. Naddaji’s media byte on “Samvidhan Ki Hatya Diwas”


by Shri Jagat Prakash Nadda -
25-06-2025
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारासंविधान हत्या दिवसपर दिए गए मीडिया बाइट के मुख्य बिंदु

 

आज ही के दिन, 50 वर्ष पहले, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोप दिया था। यह एक ऐसा कदम था जिसे देश आज भी लोकतंत्र के काले अध्याय और संविधान की आत्मा पर पड़े गहरे आघात के रूप में याद करता है।

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आपातकाल की 50वीं बरसी पर संविधान की हत्या को याद रखना और दूसरों को याद दिलाना जरूरी है, क्योंकि कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता आज भी जारी है।

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आपातकाल के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक जिम्मेदार कार्यकर्ता के रूप में तानाशाह सरकार को चुनौती दी और लाखों स्वयंसेवकों के साथ कांग्रेस की सच्चाई हर गाँव-गली तक पहुँचाई।

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कांग्रेस अब भी मानती है कि देश की सत्ता पर सिर्फ एक परिवार का हक है। उसने अपने प्रधानमंत्री पर भी 'सुपर पीएम' बैठाया था। एक गरीब परिवार के व्यक्ति का प्रधानमंत्री बनना कांग्रेस को हज़म नहीं हो रहा।

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2024 के चुनाव से पहले कांग्रेस ने उन पत्रकारों की सूची जारी की, जिनसे उसके प्रवक्ताओं को डिबेट में जाने को कहा गया। सत्ता में रहते हुए पत्रकारों पर मुकदमे और विपक्ष में रहते हुए उनका बहिष्कार कांग्रेस की दोहरी नीति है।

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इंदिरा गांधी ने सत्ता बचाने के लिए संविधान में ऐसे अलोकतांत्रिक संशोधन किए, जिससे उसकी मूल आत्मा ही बदल गई। आपातकाल में हालात ऐसे थे कि अगर किसी नागरिक को गोली भी मार दी जाए, तो वह अदालत नहीं जा सकता था।

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कांग्रेस की तानाशाही के खिलाफ संघर्ष सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और संविधान की रक्षा का आंदोलन था, जिसमें राष्ट्रवादियों ने जान की बाजी लगा दी।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज बुधवार को नई दिल्ली स्थित पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में 'संविधान हत्या दिवस' पर मीडिया को दिए गए अपने संबोधन में कहा कि 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल लोकतंत्र पर सीधा हमला था। श्री नड्डा ने कांग्रेस पर तानाशाही मानसिकता रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर संविधान को रौंद डाला, प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आपातकाल के दौरान कांग्रेस की भूमिका की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि आज भी कांग्रेस परिवारवाद, व्यक्तिवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध कार्य कर रही है। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

 

श्री नड्डा ने कहा कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश में कुछ ऐसी घटनाएँ भी हुई हैं, जहाँ संविधान की मूल आत्मा के साथ छेड़छाड़ करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। देश उन घटनाओं को लोकतंत्र के काले अध्याय के रूप में देखता है। आज ही के दिन, कांग्रेस सरकार की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 50 वर्ष पहले आपातकाल की घोषणा की थी। यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला और कुठाराघात था। 25 जून 1975 की आधी रात को, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया था और संविधान की हत्या कर दी थी। 50 वर्ष बीत जाने के बाद भी कांग्रेस आज उसी मानसिकता के साथ जी रही है। उसकी नीयत आज भी तानाशाही प्रवृत्ति से भरी हुई है।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 1975 में कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए, 6 वर्षों के लिए किसी भी निर्वाचित पद पर रहने से अयोग्य करार दिया था। रातों-रात प्रेस की बिजली काट दी गई, समस्त विपक्ष को जेल में डाल दिया गया और प्रेस की आज़ादी छीन ली गई। अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को रौंदा गया, संसद और न्यायपालिका को अपंग बना दिया गया और 26 जून की सुबह देश पर कांग्रेस की तानाशाही सरकार ने आपातकाल थोप दिया। कांग्रेस की तानाशाही का विरोध केवल राजनीतिक नहीं था, यह भारत की आत्मा और संविधान की रक्षा का आंदोलन था, जिसमें राष्ट्रवादियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। श्री जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी, राजमाता विजयराजे सिंधिया जी, श्री मुरली मनोहर जोशी जी सहित पार्टी एवं विचार परिवार के हजारों कार्यकर्ताओं को इंदिरा गांधी की सरकार ने जबरन जेल में डाल दिया था।

 

श्री नड्डा ने कहा कि हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक जिम्मेदार कार्यकर्ता के रूप में तानाशाही सरकार की आँखों में धूल झोंकते हुए लाखों समर्पित स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस की सच्चाई को हर गाँव, हर गली, हर घर तक पहुँचाया था। आपातकाल की इन्हीं कहानियों, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के संघर्ष और अनसुनी घटनाओं को पुस्तक The Emergency: Diaries, Heroes That Forced a Leader ने शब्दों में पिरोया है।

 

आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष कहा कि देश में संविधान की हत्या के 50 वर्ष आपातकाल का दंश याद रखना और याद दिलाना, दोनों जरूरी है, क्योंकि कांग्रेस आज भी उसी तानाशाही मानसिकता के साथ जी रही है। हम सबको यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए कि किस प्रकार कांग्रेस ने देश के लोकतंत्र को कुचलने की साजिश रची थी। लोकतंत्र के उपासकों ने किस प्रकार अपने प्राणों की परवाह न करते हुए संघर्ष को प्रकाशित कर कांग्रेस की इस साजिश को विफल किया था। "इंडिया इज़ इंदिरा और इंदिरा इज़ इंडिया" जैसे नारे कांग्रेस की उस मानसिकता को दर्शाते थे, जिसके तहत इंदिरा गांधी ने देश को व्यक्तिवाद और परिवारवाद की प्रयोगशाला बना दिया था।

 

श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस समझती है कि इस देश की सत्ता पर केवल एक और एक परिवार का ही हक है। तभी तो उसने अपनी सरकार के प्रधानमंत्री के ऊपर भी सुपर पीएम बिठा दिया था। आज भी कांग्रेस की मानसिकता वैसी ही है। एक गरीब का देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचना कांग्रेस से हज़म नहीं हो रहा है। कांग्रेस-शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल आज भी वही है, जो आपातकाल में था। विरोध का दमन, धार्मिक तुष्टिकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है। इंदिरा गांधी जी ने जस्टिस एच.आर. खन्ना जैसे ईमानदार जज को सीनियर होने के बावजूद, मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया, क्योंकि उन्होंने इंदिरा सरकार के खिलाफ़ फैसला सुनाया था। कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया था कि जो भी अधिकारी या जज उनके इशारों पर न चले, उन्हें या तो हटा दिया जाए या तबादला कर दिया जाए। इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को महफूज़ रखने के लिए संविधान में अलोकतांत्रिक संशोधन कर उसकी मूल आत्मा को ही बदल दिया था। आपातकाल के दौरान यदि किसी नागरिक को गोली मार दी जाए, तब भी उसे अदालत में जाने का अधिकार नहीं था।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष कहा कि आज राहुल गांधी और कांग्रेस संविधान की झूठी दुहाई दे रहे हैं। आपातकाल के दौरान जेलों में बंद लोगों को अपने परिजनों के अंतिम क्रिया-कर्म में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी गई। कांग्रेस ने आज तक आपातकाल लगाने और अपने किए पर कभी माफी नहीं माँगी है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बाकायदा बहिष्कृत पत्रकारों की सूची जारी की थी, जिनकी डिबेट में भागीदारी पर कांग्रेस प्रवक्ताओं को रोक दिया गया था। जहाँ एक ओर वे अपने शासन में पत्रकारों पर मुकदमा करते हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष में होने पर उनका बहिष्कार करते हैं। आज के इस अवसर पर, मैं मेरी ओर से और भारतीय जनता पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से उन लोकतंत्र के सच्चे सिपाहियों को श्रद्धांजलि और धन्यवाद अर्पित करता हूँ, जिन्होंने आपातकाल जैसे अभिशाप से देश को मुक्त कराने के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने न केवल संविधान की रक्षा की, बल्कि देश की भी रक्षा की।

 

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