श्री के. जना कृष्णमूर्ति भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रखर राष्ट्रप्रेमी और कुशल राजनेता थे। वे 2001 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। श्री जना कृष्णमूर्ति श्री कामराज के बाद तमिलनाडु से आने वाले दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने किसी राष्ट्रीय पार्टी का नेतृत्व किया।
श्री कृष्णमूर्ति का जन्म 24 मई 1928 को तमिलनाडु राज्य के मदुरई में हुआ था। उनके पिता और माता का नाम श्री कृष्णास्वामी और श्रीमती सुब्बलक्ष्मी था। उन्होंने 1965 में सफल वकालत की प्रैक्टिस छोड़ दी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री एम. एस. गोलवलकर की प्रेरणा से राष्ट्र सेवा का व्रत लिया। श्री कृष्णमूर्ति 1940 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक थे। उन्होंने तमिलनाडु में भारतीय जनसंघ के महामंत्री का कार्य भार संभाला। सच तो यह है कि श्री कृष्णमूर्ति दक्षिण भारत में भारतीय जनसंघ को मजबूत और विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1975 में जब आपातकाल घोषित हुआ, तो उस समय वह तमिलनाडु में संघर्ष समिति के सचिव थे। 1977 में जब भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया, तब वह पार्टी की तमिलनाडु ईकाई में महामंत्री बने। उन्होंने 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लालकृष्ण आडवाणी, श्री सुंदर सिंह भंडारी, श्री कुशाभाउ ठाकरे और पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ मिलकर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय सचिव थे।
1983 में वे राष्ट्रीय महामंत्री बने और 1985 में उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का कार्यभार संभाला। 1980 से 1990 के दौरान उन्होंने दक्षिण भारत के चार राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भाजपा के विस्तार में अतुलनीय योगदान दिया।
1993 में श्री लालकृष्ण आडवाणी के अनुरोध पर वे दिल्ली आ गए और भाजपा में आर्थिक, रक्षा और विदेशी मामलों पर बौद्धिक प्रकोष्ठ की स्थापना की। 1995 में वे दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय के प्रभारी बने। उन्होंने पार्टी प्रवक्ता पद को भी सुशोभित किया।
14 मार्च 2001 को वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और जून 2002 तक वे इस पद पर रहे। इसके साथ ही श्री जना कृष्णमूर्ति अप्रैल 2002 में राज्यसभा के सदस्य बने और 2002-2003 तक केंद्रीय कानून मंत्री भी रहे। 25 सितबंर 2007 को श्री जना कृष्णमूर्ति का देहावसान हो गया। राष्ट्र और भाजपा इनकी सेवाओं के प्रति कृतज्ञ है।