भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार में दिल्ली जल बोर्ड के 10 सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेड एवं क्षमता विस्तार के काम में घोटाले हुए हैं।
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भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड में हुए घोटाले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दें और जाँच एजेंसियों को काम करने दें।
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भ्रष्टाचार का कोई पर्यावाची है, बेईमानी और घोटाले के लिए कोई जाना जाएगा, लूट-खसोट का कोई एक्सपर्ट है और कमीशनखोरी में कोई माहिर है, तो वह केवल और केवल कट्टर बेईमान आम आदम पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल है।
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10 एसटीपी की दो श्रेणियों के काम के अनुमानित लागत लगभग 1500 करोड़ रुपए आया था और निजी ठेकेदारों को लगभग 1938 करोड़ रुपए में उन कामों को सौंपे गए।
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अनुमानित लागत से लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि करके निजी ठेकेदारों को काम सौंपे गए। दिल्ली जल बोर्ड में खूलेआम घोटाला किया गया, जो बहुत ही चिंताजनक है।
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राजनीति के क्राइम मास्टर “गोगो” हैं अरविन्द केजरीवाल।
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किसी भी सरकारी विभाग में कोई भी काम होगा, तो एक राजनैतिक व्यक्ति एवं कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल दौड़ कर पहुंच जाते हैं और वे कहते हैं कि “मेरी कमीशन क्या है? आया हूं तो कुछ तो लेकर ही जाउंगा।
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अरविंद केजरीवाल के काम करने घोटाला मैकेनिज्म यह है कि निविदा में एल-1 (लोएस्ट बिड) 392 करोड़ रुपए था और अरविंद केजरीवाल ने एल-1 से ज्यादा राशि 408 करोड़ रुपए में निजी कंपनी को काम करने की जिम्मेदारी सौंपी।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केंद्रीय कार्यालय में अयोजित प्रेसवार्ता में दिल्ली जल बोर्ड के 10 सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेड एवं क्षमता विस्तार के काम में घोटाला उजागर करते हुए कहा कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सरकार में दिल्ली जल बोर्ड के 10 सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेड एवं क्षमता विस्तार के काम में घोटाले हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने मांग कराती है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड में हुए घोटाले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दें और जाँच एजेंसियों को काम करने दें।
श्री भाटिया ने कहा कि भ्रष्टाचार का कोई प्रायवाची है, बेईमानी और घोटाले के लिए कोई जाना जाएगा, लूट-खसोट का कोई एक्सपर्ट है और कमीशनखोरी में कोई माहिर है, तो वह केवल और केवल कट्टर बेईमान आम आदम पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल है।
केजरीवाल पर तंज कसते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि अच्छा नहीं लगता है कि बार-बार प्रेसवार्ता करके भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे। किसी भी सरकारी विभाग में कोई भी काम होगा, तो एक राजनैतिक व्यक्ति एवं कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल दौड़ कर पहुंच जाते हैं और वे कहते हैं कि “मेरी कमीशन क्या है? आया हूं तो कुछ तो लेकर ही जाउंगा।“
दिल्ली जल बोर्ड घोटाला में एक नए तथ्यों को उजागर करते हुए श्री भाटिया ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के 10 सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की टेंडर जारी करने से पहले दो श्रेणी में बांटा गया। पहला श्रेणी में एसटीपी को अपग्रेड करना था और दूसरी श्रेणी में एसटीपी को अपग्रेड करने के साथ क्षमता विस्तार करना था।
· वर्ष 2022 में दिल्ली जल बोर्ड ने दोनो श्रेणियों के एसटीपी काम की जिम्मेदारी ठेकेदारों को सौंपे गए। 10 एसटीपी के दो श्रेणियों के काम 1938 करोड़ रुपए में निजी ठेकेदारों को काम सौंपे गए।
· सारंश यह है कि 10 एसटीपी के दो श्रेणियों के काम के अनुमानित लागत लगभग 1500 करोड़ रुपए आया था और निजी ठेकेदारों को लगभग 1938 करोड़ रुपए में उन कामों को सौंपे गए। अनुमानित लागत से लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि करके निजी ठेकेदारों को काम सौंपे गए। दिल्ली जल बोर्ड में खूलेआम घोटाला किया गया, जो बहुत ही चिंताजनक है।
· अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के सबसे बड़े कलाकार बनकर एक और नया घोटाला कर दिया। अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के मास्टर हैं, जो धोखाबाजे, झूठे और घोटालेबाज के विशेषज्ञ हैं।
· अरविंद केजरीवाल की 100 प्रतिशत गारंटी है कि अगर कोई सरकारी काम आएगा, तो उसमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी होगी ही।
· अगर केजरीवाल जी भ्रष्टाचार करने का पीएचडी होल्डर हैं, तो भारतीय जनता पार्टी वह स्कूल मास्टर है जो निरंतर जनता के मुद्दे को उठाती है और भ्रष्टाचारियों को कटघरे में खड़ा करती है।
· ईमानदारी और राजनीति में शुचिता की बात करके अरविंद केजरीवाल जी सत्ता में आए और उसके बाद एक के बाद एक नए नए घोटाले करते चले गए। अरविन्द केजरीवाल राजनीति के क्राइम मास्टर “गोगो” हैं ।
भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछे और उनसे जवाब की उम्मीद की-
पहला सवाल - 10 एसटीपी के अपग्रेड और क्षमता विस्तार के कराने के काम के लिए कितने डीपीआर बनाए गए?
· सीपीडब्ल्यूडी के मैन्युअल कहती है कि इन कामों का डीपीआर बनाना जरूरी है। नियमत: दस एसटीपी के काम के लिए 10 डीपीआर बनना चाहिए था, किन्तु कट्टर बेईमान अरविंद केजरीवाल ने 10 एसटीपी के लिए केवल 2 डीपीआर बनवाए। साथ ही, दो डीपीआर के अनुमानित खर्च को बढ़ाकर डीपीआर बनाया गया और दस एसटीपी पर लागू कर दिया गया।
दूसरा सवाल - केजरीवाल जी बताएं कि दूसरे श्रेणी के काम के लिए आंकी गयी अनुमानित लागत खर्च पहले श्रेणी के काम के लिए क्यों दी गयी?
· दूसरे श्रेणी के काम में एसटीपी के अपग्रेड और क्षमता विस्तार करना है।, जबकि पहले श्रेणी में सिर्फ अपग्रेड करना है। सामान्य समझ की बात यह है कि जहां सिर्फ अपग्रेड करने की बात होगी तो वहां अनुमानित खर्च कम होगी। जहां अपग्रेड और क्षमता विस्तार दोनो ही काम हो, तो वहां अनुमानित खर्च ज्यादा होगी। अरविंद केजरवाल ने दूसरे श्रेणी के काम के लिए जो अनुमानित लागत लिया था, उसे ही पहले श्रेणी पर भी लागू कर दिया। इससे 10 एसटीपी के काम के अनुमानित लगात बढ़ गयी और घोटाले के लिए रास्ते खुल गए।
तीसरा सवाल - एसटीपी के डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी एनजेएस इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को क्यों सौंपी गयी?
· यह बाते पहले ही आ चुकी है कि डीपीआर बनाने वाली एजेंसी एनजेएस इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के कंस्लटेंसी वर्क भी अच्छा नहीं था। सिंगल कोटेशन होने के बावजूद डीपीआर बनाने का काम एनजेएस इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दिया गया। सामान्य बात है कि जिस काम के लिए जब भी सिंगल कोटेशन आता है, तो उसके लिए दोबारा टेंडर जारी की जाती है। सिंगल कोटेशन मान्य नहीं होता है, क्योंकि उसमें प्रतिस्पर्द्धा निविदा आ पाती है।
चौथा सवाल - ठगो के सरदार महाठग अरविंद केजरीवाल ने 392 करोड़ रुपए को बढ़ाकर 408 करोड़ रुपए खर्च कर दिया, ऐसा क्यों?
· अरविंद केजरीवाल के काम करने घोटाला मैकेनिज्म यह है कि निविदा में एल-1 (लोएस्ट बिड) 392 करोड़ रुपए था और अरविंद केजरीवाल ने एल-1 से ज्यादा राशि 408 करोड़ रुपए में निजी कंपनी को काम करने की जिम्मेदारी सौंपी। निजी कंपनी 392 करोड़ रुपए में काम करने को तैयार था, तब भी केजरीवाल जी ने उस काम के लिए 408 करोड़ रुपए दिया, जबकि केजरीवाल ईमानदारी से काम करते, तो निजी कंपनी को 350 करोड़ रुपए या 325 करोड़ रुपए में काम के लिए तैयार करते।
· यह उसी तरह सरकारी काम निजी कंपनी को सौंपा गया, जैसे शराब घोटाला में गब्बर एडं कंपनी को ठेका दिया गया था। अर्थात, अरविंद केजरीवाल के साथ भ्रष्टाचार करने के लिए जो भी निजी कंपनियां जय और वीरू की जोड़ी बना सकती है, उसे सरकारी काम मिल जाएगा। शराब घोटाले की तरह दिल्ली जल बोर्ड में भी कार्टेलाइजेशन कर निजी कंपनी को ठेका दिए गए हैं।
पांचवां सवाल - अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली की जनता को स्वच्छ पानी नहीं दे पाए, ऐसा क्यों?
छठा सवाल - एसटीपी को बेहतर बनाने के बदले उसमें भी घोटाला कर दिया, ऐसा क्यों?
भ्रष्टाचार और अरविंद केजरीवाल को पर्यायवाची बातते हुए श्री भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार में शराब घोटाला, दिल्ली में बस घोटाला, स्कूल के क्लास रूम निर्माण घोटाला, शीशमहल घोटाला किया और आज केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड घोटाला कर दिया।
सत्ता में आने से पहले अरविंद केजरीवाल द्वारा की गयी ट्वीट को दिखाकर श्री भाटिया ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने 2014 में एक ट्वीट किया था कि पिछले कई वर्षों से द्वारका ट्रीटमेंट प्लांट कार्यरत नहीं है, पानी की कमी के कारण क्षमता से कम काम कर रहा है। इसके लिए क्या किया जाएगा....? दूसरा ट्वीट था कि दिल्ली को दो नऐ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की जरूरत है, क्या बीजेपी इसे समझती है?
अपराध एवं भ्रष्टाचार के मामले में कानून को सर्वोपरी बताते हुए श्री भाटिया ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड में लगभग 500 करोड़ रुपए का घोटाले किए गए हैं। अरविंद केजरीवाल को गुमान है कि वे संवैधानिक पद पर बैठे है, इसलिए वे भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करते रहेंगे और जांच एजेंसियां कुछ नहीं करेगी, तो यह उनकी गलतफहमी है। भारतीय संविधान में कानून से उपर कोई व्यक्ति नहीं होता है। भारतीय जनता पार्टी देश के हर नागरिक को आश्वस्त करती है कि कानून अपना काम करेगी। यदि आप (अरविंद केजरीवाल) भ्रष्टाचार किए हैं, तो वे भी अन्य भ्रष्टाचारियों की तरह ही भी जेल के सलाखों के पीछे होंगे। अरविंद केजरीवालद ने अपने पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन को कट्टर ईमानदार बताया था, जो मनीष सिसोदिया भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं और सत्येंद्र जैन को इलाज के लिए जमानत मिली है। केजरीवाल ने “आप” सांसद संजय सिंह को कट्टर ईमानदार बताया था और संजय सिंह आज भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं, उन्हें भी जमानत नहीं मिली है।
भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली जल बोर्ड घोटाले को लेकर तुंरत इस्तीफा दे और जांच एजेंसियों को काम करने दे। क्योंकि, वर्ष 2012 और 13 में अरविंद केजरीवाल खुद कहा करते थे कि यदि संवैधानिक पद पर बैठे किसी व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, तो उस व्यक्ति को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उस व्यक्ति को अपने पद पर नहीं होना चाहिए, जबतक उस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप गलत साबित नहीं हो जाए।
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